About Shiv Chalisa
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नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥
ब्रह्म – कुल – वल्लभं, सुलभ मति दुर्लभं, विकट – वेषं, विभुं, वेदपारं ।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
गले रुण्डमालं तनौ सर्पजालं महाकालकालं गणेशाधिपालम् ।
अर्थ- अपनी पूजा को पूरा करने के लिए राजीवनयन भगवान राम ने, कमल की जगह अपनी आंख से पूजा संपन्न करने की ठानी, तब आप प्रसन्न हुए और उन्हें इच्छित वर प्रदान किया।
शरच्चन्द्रगात्रं गुणानन्द पात्रं त्रिनेत्रं पवित्रं धनेशस्य मित्रम् ।
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किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
आज के युग में शिव चालीसा पाठ व्यक्ति के जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शिव चालीसा लिरिक्स की सरल भाषा के मध्यम भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
आपके पास पूजा के लिए दूध दही घी शक्कर शहद यानि पंचामृत तथा चंदन पुष्प बेलपत्र त्रिशूल डमरू आदि होने चाहिए अगर आपका व्रत है तो शाम को पूजा करने के बाद ही व्रत खोलें अंत में प्रसाद वितरण करें
कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं पदाम्भोजनम्राय कामं ददानम् ।